रैम (Ram) क्या है ? [2023] रैम कैसे काम करती है?

भाई आज के इस टाइम में आपको कंप्यूटर और स्मार्ट फ़ोन के बारे में कुछ पता हो या न हो लेकिन कंप्यूटर और मोबाइल की कुछ बेसिक चीजों के बारें जानकारी तो होनी ही चाहिए क्योंकि आज का समय है टेक्नोलॉजी का समय ऐसे में आपको टेक्नोलॉजी की दुनियां में अक्सर बोले जाने वालें शब्दों के बारे में थोडा बहुत तो ज्ञान होना ही चाहिए|

हेल्लो दोस्तों आपका बहुत बहुत स्वागत हमारे Tech Sidd के हिंदी ब्लॉग में जहाँ आपको सभी जानकारियां आपकी अपनी हिंदी शुद्ध सरल भाषा में पढने को मिलती हैं और आज के इस लेख में हम आपको रैम के बारे में बताने वाले हैं कि रैम क्या होती है और इसका कंप्यूटर या मोबाइल में क्या काम होता है ?

Ram kya hai

रैम एक ऐसा शब्द हैं जिससे लगभग हर स्मार्ट फ़ोन यूजर और कंप्यूटर यूजर परिचित है मतलब इस दुनिया में जितने भी लोग कंप्यूटर या स्मार्ट फ़ोन का उपयोग कर रहे हैं वो रैम शब्द से परिचित हैं लेकिन इतने लोगो में बहुत कम लोगो को ही रैम क्या होती है इसका काम क्या होता है इसके बारे में पता होता है हालाँकि हम में से बहुत से लोग ये तो जानते ही हैं कि ज्यादा रैम वाला कंप्यूटर या मोबाइल अच्छा होता है वो जल्दी हैंग नहीं करता लेकिन रैम की पूरी जानकारी बहुत ही कम लोगो को होती है |

जैसे अगर आपसे कोई यह प्रश्न कर दे कि बताओ रैम होती क्या है तो शायद आप इसका उत्तर नहीं दे पाएंगे लेकिन अगर आपसे कोई यह पूछे कि 6 GB रैम वाला स्मार्ट फ़ोन अच्छा चलेगा या 2 GB रैम वाला अच्छा चलेगा तो यकीनन आपका यही उत्तर होगा कि 6 GB रैम वाला मोबाइल अच्छा चलेगा लेकिन अगर इसमें आपसे यह भी पूछ लिया जाये कि बताओ 6 GB रैम वाला मोबाइल अच्छा क्यों चलेगा तो शायद आप इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाएंगे क्योंकि आपको तो सिर्फ संख्या ज्यादा होने से उसकी गुणवत्ता के बारे में पता है लेकिन आप इस चीज के बारे में डिटेल में नहीं जानते हैं|

हम और आप जब कोई नया मोबाइल या कंप्यूटर खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में एक ही प्रश्न आता है कि हमें कितनी रैम वाला मोबाइल या कंप्यूटर लेना चाहिए जिससे कि आगे चलकर के हमें किसी भी चीज की परेशानी का सामना न करना पड़े |

रैम की अगर बात की जाए तो कंप्यूटर हो या कोई लैपटॉप या फिर कोई मोबाइल सभी devices में यह महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसके कारण ही कोई भी डिवाइस बेहतर ढंग से काम करती है|

लेख का अनुक्रम –

     रैम का फुल फॉर्म |

    रैम क्या होती है ?

    रैम को Volatile रैम क्यों कहा जाता है?

    रैम का काम क्या होता है ?

    हमें कितनी GB रैम वाला मोबाइल या कंप्यूटर लेना चाहिए?

    क्या रैम को बढ़ाया जा सकता है?

रैम का फुल फॉर्म |

Ram जिसका फुल फॉर्म Random Access Memory होता है, इसके फुल फॉर्म को आप बहुत ही आसानी से याद कर सकते हैं ‘रैंडम एक्सेस मेमोरी’ लेकिन खाली रैम के फुल फॉर्म को जानने से कुछ नहीं होगा अभी आपको इसके बारे सब कुछ जानना होगा |

रैम क्या होती है ?

रैम को हम कुछ इस तरह से परिभाषित कर सकते हैं ‘कंप्यूटर या मोबाइल के अन्दर मौजूद एक ऐसा हार्डवेयर पार्ट जिसमें कंप्यूटर या मोबाइल के सॉफ्टवेयर को रन कराया जाता है उसे हम रैम कहते हैं|’

इस तरह से ये समझ पाना आपके लिए काफी कठिन लग रहा होगा क्योंकि अभी तक मैंने आपको रैमको उदाहरन के जरिये समझाना शुरू नहीं किया आगे मैं आपको इसको समझाने के लिए एक बड़े उदाहरन का उपयोग करने जा रहा हूँ जिसे पढ़कर उम्मीद है आप इसे अछि तरह से समझ पाएंगे |

मान लीजिये आप किसी ऑफिस में बैठे हैं और आपको काम करने के लिए एक फाइल चाहिए होगी और फाइल तो किसी दुसरे कमरे में रखी हुई है, तो जब भी आपको काम करना होगा तो आप दुसरे कमरे में जायेंगे और फाइल को ले आयेंगे और अपने ऑफिस में पड़ी हुई डेस्क पर रखकर के उस फाइल पर काम करने लग जायेंगे लेकिन एक समय ऐसा आता है जब आपको एक साथ बहुत सारे काम करने होते हैं और इसके लिए आपको बहुत सारी फाइल्स की जरूरत पड़ेगी, तो इस ज्यादा काम के लिए आपको ज्यादा फाइल्स रखने के लिए एक बड़ी डेस्क (Table) की जरूरत पड़ेगी, तो जब आपको कोई सा भी काम करना होगा तो आप डेस्क से उसकी फाइल को उठाकर काम करने लग जायेंगे जब आपका काम ख़तम हो जायेगा तो आप वापस उन सभी फाइल्स को उस कमरे में रख देंगे|

तो जो रैम मोबाइल में होती है वो कुछ इसी तरह से काम करती है जो फाइल वाला दूसरा कमरा है उसे आप इन्टरनल मेमोरी मान सकते हैं जिसमें आपकी सारी फाइल्स और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर्स हैं और जो डेस्क है वो आपकी रैम हो गयी जिस पर आप काम करते हैं|

तो यहाँ इसका काम आपके आदेश के अनुसार किसी App को लाकर के उसे रन करना है क्योंकि किसी भी App को ओपन होने में कुछ समय लगता है और ये इसलिए होता है क्योंकि रैम की स्पीड बहुत फ़ास्ट होती है आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि 1 GB की  रैम को बनाने में इतना खर्चा आता है जितना कि 16 GB की इन्टरनल मेमोरी कार्ड को बनाने में आता है तो CPU को जो फाइलें चाहिए होती हैं रैम उन्हें जल्दी से जल्दी भेजने का काम करती है |

जब आप अपने मोबाइल में किसी गेम को इनस्टॉल करते हैं तो वो रैम में इनस्टॉल नहीं बल्कि मोबाइल के इन्टरनल मेमोरी में इनस्टॉल होता है और जब कभी आप उस गेम पर क्लिक करते हैं तो वो रन करने के लिए फ़ोन की मेमोरी से फ़ोन की रैम पर आ जाता है और रैम काम करने लग जाती है| इस बीच में CPU और रैम के बीच में बहुत तेजी से इनफार्मेशन का आदान प्रदान होता है लेकिन जब आपके कंप्यूटर या मोबाइल की रैम कम होती है और आप कई बड़ी बड़ी एप्लीकेशन अपने मोबाइल या कंप्यूटर में रन कर रहे होते हैं तो इस सिचुएशन में मोबाइल या कंप्यूटर हैंग होने लगता है इसलिए कहा जाता है कि ज्यादा रैम मल्टीटास्किंग के लिए उपयोगी होती है |

और वैसे भी आजकल तो जो लोग स्मार्ट फ़ोन उपयोग करते हैं वो मल्टीटास्किंग की लिमिट को ही क्रॉस कर देते हैं , जैसे मोबाइल में WhatsApp भी चलाएंगे ,फेसबुक भी चलाएंगे इसके अलावा YouTube भी चलाएंगे और न जाने ऐसे कई एप्लीकेशन लोग अपने मोबाइल में चलाना चाहते हैं |

जब हम अपने मोबाइल में खाली फेसबुक को ओपन करते हैं तो केवल ये ही ओपन होते ही 200 से 300 MB तक की जगह ले लेता है, ऐसे में जब हम बैकग्राउंड में बहुत सारे Apps का उपयोग कर रहे होते हैं तब मोबाइल में कम रैम होने की वजह से वो हैंग होना शुरू हो जाता है|

रैम को Volatile रैम क्यों कहा जाता है ?

Ram को Volatile या टेम्पररी मेमोरी भी कहा जाता है इसको वोलेटाइल मेमोरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे कुछ भी याद नहीं रहता ये भुलक्कड़ होती है मतलब अगर आप कोई सॉफ्टवेयर पर काम कर रहे हैं और अचानक से आपका कंप्यूटर लाइट चले जाने से बंद हो जाये या लैपटॉप की बैटरी कम होने से लैपटॉप शटडाउन हो जाए , तो आप जिस सॉफ्टवेयर पर काम कर रहे होंगे वो लैपटॉप को On होते ही नहीं खुलेगा उस सॉफ्टवेयर को दोबारा खोलना पड़ेगा, जैसे मान लो आप Adobe Photoshop में कोई तस्वीर को एडिट कर रहे हैं अब अगर अचानक से आपका लैपटॉप या कंप्यूटर बंद हो जाए तो जब आप लैपटॉप या कंप्यूटर को on करेंगे तब Adobe Photoshop अपने आप वहीँ से नहीं खुलेगा ,इसके लिए दोबारा फिर इसे खोलना होगा और फिर से तस्वीर को एडिट करना पड़ेगा | रैम को इसलिए वोलेटाइल मेमोरी बोला जाता है कि कुछ भी याद करके नहीं रखता, जब तक आप किसी सॉफ्टवेयर में किसी फाइल को बनाते समय उसे हार्ड ड्राइव में सेव नहीं करते हैं तब तक एक तरह का फाइल का मिस हो जाने का रिस्क बना रहता है लेकिन जब इसे आप अपनी फाइल को हार्ड ड्राइव में सेव कर लेते हैं दोबारा उसे वैसा ही ओपन कर सकते हैं जैसा आपने सेव किया होगा |

रैम का काम क्या होता है?

रैम का काम सिर्फ सॉफ्टवेयर के लोड को लेना उनको चलाना होता है , मतलब आपके मोबाइल में या कंप्यूटर में जितने भी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते हैं तो उनका जो लोड और एक्सेस लेने का काम होता है वो सिर्फ रैम का होता है|

जैसे हम अपने फ़ोन में कई तरह के App इनस्टॉल करके रखते हैं, तो जब हम इनको इंस्टाल करते हैं तो ये हमारे कंप्यूटर के हार्ड ड्राइव में सेव हो जाते हैं और अगर मोबाइल है तो ये उसकी इन्टरनल मेमोरी में सेव हो जाते हैं लेकिन जब कभी आप इनको इस्तेमाल करने के लिए इन्हें ओपन करते हैं तो ये रैम में जाकर खुलते हैं यानि की रैम सभी सॉफ्टवेयर के ओपन होते ही उनका लोड और एक्सेस लेना शुरू कर देती है|

हमें कितनी GB रैम वाला मोबाइल या कंप्यूटर लेना चाहिए?

रैम क्या होती है ये तो आप जान ही गए हैं लेकिन अब आप ये भी जानना चाहते होंगे कि एक मोबाइल में और लैपटॉप या कंप्यूटर में कितनी रैम होना जरूरी है|

तो देखो अगर बात की जाये मोबाइल कि तो आज के टाइम पे मोबाइल में कम से कम 3 GB की रैम तो होनी ही चाहिए क्योंकि आजकल की एप्लीकेशन का साइज़ धीरे धीरे करके बढ़ता जा रहा है जैसे अगर फेसबुक की बात करे तो जब ये मोबाइल में ओपन होती है तो 300 से 400 MB तक की रैम की जगह ले लेती है| इसके अलावा ऐसे बहुत से App हैं जिनके साइज़ काफी बड़े होते हैं और ये दिन प्रतिदिन अपग्रेड होते रहते हैं जिसके कारण इनका साइज़ बढ़ता जाता है और ये हमारे मोबाइल में ज्यादा रैम का उपयोग करने लगते हैं|

अगर आप बहुत हाई रैम इस्तेमाल करने वाले Apps का इस्तेमाल करना चाहेंगे तो इसके लिए आपको ज्यादा रैम वाला मोबाइल लेना होगा जैसे कि आज के टाइम लोग अपने मोबाइल में Pub-G और Free Fire जैसे गेम खेलना चाहते हैं तो इसके लिए कम से कम 4 GB रैम वाला तो फ़ोन होना ही चाहिए अगर आप इस प्रकार के गेम किसी 2 GB रैम वाले मोबाइल में इंस्टाल करते हैं तो App ओपन करते समय ही मोबाइल हैंग कर जायेगा |

वहीँ अगर बात करें कंप्यूटर या लैपटॉप की तो आज के समय में किसी भी कंप्यूटर या लैपटॉप में 4 GB रैम तो होनी ही चाहिए क्योंकि लैपटॉप या कंप्यूटर में एक साथ कई सॉफ्टवेयर को यूज़ करना पड़ता है जिसके लिए ज्यादा से ज्यादा रैम होनी चाहिए| अगर आप लैपटॉप में एडोबी फोटोशोप और पेंट कोरल ड्रा और कोई विडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर आदि एक साथ यूज़ करना चाहते हैं तो इसके लिए कम से कम 8 GB तक की लैपटॉप होना चाहिए लेकिन अगर आप केवल ब्राउज़र से इन्टरनेट उपयोग करते हैं या कभी कबार MS वर्ड का उपयोग कर लेते हैं और एडोबी फोटोशोप का उपयोग करते हैं तो इसके लिए 4 GB रैम काफी होती है |

क्या रैम को बढ़ाया जा सकता है ?

आपने कभी न कभी किसी को बात करते हुए सुना होगा कि मेरे लैपटॉप की रैम कम है मैं इसे बढवाना चाहता हूँ ,ये सच है अगर आपके लैपटॉप या कंप्यूटर की रैम कम है तो आप इसे कुछ हद तक बढ़वा सकते हैं|

लेकिन वही अगर बात करे मोबाइल कि तो मोबाइल में रैम को नहीं बढ़ाया जा सकता है, अगर आप  अपने मोबाइल को रूट करके रैम बढ़ाने की कोशिस करते हैं तो इससे आपका मोबाइल डेड हो सकता है| मोबाइल में कंपनी जितनी रैम देती है सिर्फ उतनी रैम उसमें उपयोग की जा सकती है इसके अलावा मोबाइल में न तो आप रैम को बढ़ा सकते हैं और न ही घटा सकते हैं|

 

निष्कर्ष –

तो अब तक आपने रैम की पूरी कहानी पढ़ ली और अब आप इसे दूसरों को भी सुना सकते हैं मतलब अब तक इस पोस्ट को पढने के बाद आपके दिमाग में ये सेव हो गया कि रैम होती क्या है और इसका काम क्या होता ? अब अगर आपसे कोई सवाल करता है कि बताओ रैम क्या होती है तो आप फटाक से बोल देंगे कि रैम कंप्यूटर के अन्दर मौजूद एक हार्डवेयर पार्ट होता है जो कंप्यूटर सभी सॉफ्टवेयर का लोड लेता है और उन्हें रन करता है|

इतना सब कुछ पढने के बाद अब आपका फर्ज बनता है कि आप इस लेख को आगे भी शेयर कर दें आप इसे WhatsApp पर या फेसबुक पर या किसी भी App के जरिये शेयर कर सकते हैं नेचे शेयर करने वाले App के आइकॉन दिए गए हैं|

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